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प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं? पहले जीएसटी दरों के बारे में जान लें

नवभारतटाइम्स.कॉम | 23 Feb 2018, 10:47 pm

यदि आप एक संपत्ति खरीदने की योजना बना रहे हैं तो इसके लिए गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) दरों को समझना जरूरी है।

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आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार
टैक्स की चोरी को कम करने, कानून को ज्यादा आसान बनाने और अनावश्यक बाधाओं को दूर करने के लिए, सरकार ने पिछले साल जुलाई में गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू किया। रियल एस्टेट क्षेत्र को भी इसके दायरे में लाया गया क्योंकि इस पर वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस जैसे तरह-तरह के इनडायरेक्ट टैक्स का बोझ था। लेकिन इसे लागू करने के बाद से इसकी दरों और फायदों को लेकर काफी उलझन है। चलिए, रियल एस्टेट और निर्माणाधीन संपत्तियों पर लागू होने वाली जीएसटी दरों के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।

रियल एस्टेट पर जीएसटी

रियल एस्टेट क्षेत्र में संपूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा। परिषद द्वारा मंजूर सेवाओं के लिए जीएसटी दरों की सूची के अनुसार रियल एस्टेट सेक्टर में 'किसी खरीदार को संपूर्ण या आंशिक रूप से बेचने के मकसद से एक कॉम्प्लेक्स, बिल्डिंग, सिविल स्ट्रक्चर या उसके एक हिस्से का निर्माण शामिल होगा। सेवा प्राप्तकर्ता से वसूली गई रकम में जमीन की कीमत शामिल रहती है।' इसे संपूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 12 प्रतिशत की दर से वसूला जाएगा। दूसरे शब्दों में, इसका मतलब है कि सभी निर्माणाधीन संपत्तियों पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा, लेकिन रहने के लिए तैयार संपत्तियों पर जीएसटी नहीं लगेगा।

निर्माणाधीन संपत्तियों के लिए अभी भी कुछ भिन्नताएं हैं और उनके संबंध में अभी भी कुछ भ्रम हैं। निर्माणाधीन संपत्तियों के विभिन्न चरण हैं और जीएसटी उनके आधार पर ही लगेगा। जब आपने बिल्डर को कम्प्लीशन सर्टिफिकेट जारी होने के बाद एक संपत्ति खरीदा है। ऐसी परिस्थिति में, जीएसटी नहीं लगेगा क्योंकि इसे रहने के लिए तैयार संपत्ति माना जाता है और इस मामले में वस्तु और सेवा का कोई हस्तांतरण या आपूर्ति नहीं हो रही है।

जीएसटी व्यवस्था शुरू होने से पहले बिल्डर को आंशिक या संपूर्ण रूप से किया गए भुगतान पर जीएसटी नहीं लगेगा, लेकिन यह बात याद रखें कि पहले के नियम के आधार पर आपसे 4.5 प्रतिशत की दर से सर्विस टैक्स जरूर लिया जाएगा।

निर्माणाधीन फ्लैटों, संपत्तियों या वाणिज्यिक संपत्तियों पर जीएसटी
इस श्रेणी में वास्तविक जीएसटी दर 18 प्रतिशत है, लेकिन इस 18 प्रतिशत के एक-तिहाई हिस्से को जमीन की कीमत या संपत्ति के खरीदार को दी जाने वाली जमीन का अविभाजित हिस्सा माना जाता है। इसलिए संपूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ निर्माणाधीन फ्लैटों, संपत्तियों या वाणिज्यिक संपत्तियों पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है।

फिर से बेची जाने वाली संपत्तियों या फ्लैटों पर जीएसटी
चूंकि उन्हें रहने के लिए तैयार संपत्तियां माना जाता है, इसलिए उन पर जीएसटी नहीं लगेगा।

सीएलएसएस के अंतर्गत खरीदे गए मकानों पर जीएसटी
क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (सीएलएसएस) का मकसद समाज के निचले और कमजोर वर्ग के लोगों को सस्ते मकान उपलब्ध कराना है। ऐसे मकानों पर जीएसटी की दर प्रभावशाली ढंग से 8 प्रतिशत होगी, न कि 12 प्रतिशत क्योंकि जमीन की कीमत के लिए इसमें एक-तिहाई कटौती की जाएगी।

जीएसटी से बिल्डरों और खरीदारों, दोनों को फायदा होगा, कैसे?
एक बिल्डर, मकान या कॉम्प्लेक्स के निर्माण के दौरान तरह-तरह के इनडायरेक्ट टैक्स और ड्यूटी का भुगतान करता है। वह यह लागत, अंतिम उपयोगकर्ताओं के कंधों पर लाद देता है, लेकिन जीएसटी शुरू होने के कारण ये सभी टैक्स एक जगह एकजुट हो गए हैं और इसके परिणामस्वरूप संपत्ति की लागत कम हो गई है।

इस कदम से, घरों की बिक्री में तेजी आने की उम्मीद है। खरीदारों के लिए 12 प्रतिशत जीएसटी थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे टैक्सेशन में स्पष्टता और एकरूपता आई है जिसकी वे सराहना करेंगे और उम्मीद है जीएसटी को पूरी तरह अपनाएंगे।

(बैंक बाजार भारत का एक प्रमुख ऑनलाइन मार्केटप्लेस है जो तरह-तरह के क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन और इंश्योरेंस की तुलना करने और उसके लिए आवेदन करने में कन्ज्यूमर्स की मदद करता है।)
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